Sunday, September 4, 2011

हालात,

अब तो ऐसे हैं हालात,

कि शब्द नही मिलते,
कुछ इस तरहउलझन मे है ख़यालात,
कि शब्द नही मिलते,
इस नरम से दिल मे हज़ारों हैं तूफान,
पर कैसे कहूँ होंठों पर है जो बात,
मुझे शब्द नही मिलते,


दुनिया से छिपकर तो बहते है आँसू,
पर कैसे बयां करूँ अपने जस्बात,
मुझे शब्द नही मिलते,

इन अंधेरो मे इस तरह गुम हूँ,
कि किसको दूँ , कैसे दूँ आवाज़,

मुझे शब्द नही मिलते,
अब तो इस कदर मुश्किल मे हैं हालात,
कि मुझे शब्द नही मिलते……
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कुछ गाने मेरी पसंद

मेरे  प्यार के लिए जिसे मै बहुत प्यार करता हूँ .....

Sunday, August 21, 2011

आप के नाम

'प्यार'
सच है
सबकुछ है
बहुत खूबसूरत होता है
अगर वो खूबसूरत नहीं तो भी
सबसे खूबसूरत ही लगता है
तर्क नहीं चलते

जिसे चाहता है दिल
आंखें ढूंढती हैं
मन पहचान लेता है
मन जानता है
कहां है वो ?
और कदम ख़ुद-ब-ख़ुद चल पड़ते हैं वहां ।।
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Friday, August 5, 2011

बारिश

आज मौसम जरा सर्द है
दिल में उठा क्यूँ ये दर्द है
पहली बारिश की वो यादें
लेके ये आता है
तन मन को फिर मेरे
भीगो जाता है
आज भी भीग लूँ मैं
तेरी बाहों में इस तरह
मिल जाए मेरी रूह
तेरी रूह के साथ
जैसे माटी मिले
जल के साथ
वही पहली खुशबु
आज ये मौसम लाया है
दिल में तेरे प्यार का
मौसम आया है

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Monday, August 1, 2011

फूलों सी नाजुक चीज है दोस्ती


फूलों सी नाजुक चीज है दोस्ती,

सुर्ख गुलाब की महक है दोस्ती,
सदा हँसने हँसाने वाला पल है दोस्ती,

दुखों के सागर में एक कश्ती है दोस्ती,
काँटों के दामन में महकता फूल है दोस्ती,

जिंदगी भर साथ निभाने वाला रिश्ता है दोस्ती ,
रिश्तों की नाजुकता समझाती है दोस्ती,

रिश्तों में विश्वास दिलाती है दोस्ती,
तन्हाई में सहारा है दोस्ती,

मझधार में किनारा है दोस्ती,
जिंदगी भर जीवन में महकती है दोस्ती,

किसी-किसी के नसीब में आती है दोस्ती,
हर खुशी हर गम का सहारा है दोस्ती,

हर आँख में बसने वाला नजारा है दोस्ती,
कमी है इस जमीं पर पूजने वालों की वरना इस जमीं पर "खुदा" है दोस्ती 

दोस्तों के लिए 

Friday, July 29, 2011

माँ

आज भी जब मुझे नींद आती नहीं
गिन के तारे कटती हैं रातें मेरी,
दर्द मेरा जब कोई समझता नहीं 
याद आती है मां बस तेरी-बस तेरी।

आज मुझे भूख लगी, नहीं मिला खाना जो तो
मुझको जमाना वो पुराना याद आ गया।
बाबू, अम्मा और चाचा-चाची की भी याद आई,
पापा वाला गोदी ले खिलाना याद आ गया।

छोटे-छोटे पांवों पर दौड़कर भागा मैं तो
मम्मी वाला पीछे-पीछे आना याद आ गया।
यहाँ-वहाँ दौड़ते जो भुंइयां पे गिरा मैं तो
गिरकर रोना और चिल्लाना याद आ गया।
लाड लो लगाई, लचकाई लो उठाई गोद,
माई मन मोद का मनाना याद आ गया।
गोदी में उठाके फिर छाती से लगा के मुझे,
आंसुओं का मरहम लगाना याद आ गया। 

मेरी कविता

कविता मे सब सच है
सत्य मे कविता शामिल भले न हो पर
कविता मे सब सत्य है

हर शब्द अक्षरश: सच है
कविता मे तुम हो
मै हू
और ये दुनिया भी है
कविता मे कुछ भी छुटा नही है 
जब मुझे
तुम्हारा प्यार
आकाश की स्लेट पर
इन्द्रधनुष की तरह लिख देगा

तब सावन की रिमझिम मे
भींगी हुवी हवा की उंगलिया
किसका नाम लिखू
इन रेखाओं पर ..पुछेगी
तब भी मेरे ओंठ चुप रहेंगे