Friday, July 29, 2011

मेरी कविता

कविता मे सब सच है
सत्य मे कविता शामिल भले न हो पर
कविता मे सब सत्य है

हर शब्द अक्षरश: सच है
कविता मे तुम हो
मै हू
और ये दुनिया भी है
कविता मे कुछ भी छुटा नही है 
जब मुझे
तुम्हारा प्यार
आकाश की स्लेट पर
इन्द्रधनुष की तरह लिख देगा

तब सावन की रिमझिम मे
भींगी हुवी हवा की उंगलिया
किसका नाम लिखू
इन रेखाओं पर ..पुछेगी
तब भी मेरे ओंठ चुप रहेंगे 

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